Land : बिहार में अब आम लोगों को राजस्व दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, जिससे उन्हें जमीन के कागजात हासिल करने में सहूलियत होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में शुक्रवार को इस योजना को मंजूरी दे दी गई। इस फैसले के तहत, अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर होने के बाद दो दिनों के अंदर यह दस्तावेज नागरिकों को मिल जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य राज्य के करोड़ों लोगों को जमीन के कागजात प्राप्त करने में आने वाली परेशानियों को दूर करना है। ऑनलाइन दस्तावेज उपलब्ध होने से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों में भी कमी आएगी। यह कदम बिहार सरकार के ई-गवर्नेंस की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और कुशलता बढ़ेगी।
मंत्रिपरिषद की बैठक में इस योजना के अलावा कुल 25 प्रस्तावों पर अपनी सहमति दी गई। इन प्रस्तावों में विभिन्न विभागों के विकास कार्य, नीतिगत बदलाव और अन्य महत्वपूर्ण निर्णय शामिल थे। सरकार के इस फैसले से राज्य में डिजिटल इंडिया अभियान को भी बल मिलेगा और आम जनता को सरकारी सेवाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा।
इस नई व्यवस्था से नागरिकों को अब कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और ऑनलाइन माध्यम से ही वे अपने दस्तावेज प्राप्त कर सकेंगे। इससे सरकारी कामकाज में भी तेजी आएगी और लोग बिना किसी बाधा के अपने राजस्व दस्तावेज हासिल कर सकेंगे। बैठक के बाद कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि राज्य सरकार राजस्व दस्तावेजों को डिजिटल रूप में संरक्षित कर रही है। इसमें राजस्व प्रशासन से जुड़े पुराने न्यायिक आदेश, नक्शे, भू-अभिलेख आदि शामिल हैं। अब नागरिकों को इन दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन और परंपरागत दोनों तरीकों का विकल्प मिलेगा।
अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि दस्तावेजों की प्रतिलिपि के लिए स्टांप शुल्क पृष्ठों की संख्या के आधार पर निर्धारित होगा, जिसे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा कार्यकारी आदेश के तहत तय किया जाएगा। शुल्क का भुगतान भी विभाग द्वारा विकसित ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकेगा।
डॉ. सिद्धार्थ के अनुसार, आवेदन करने पर, निर्धारित शुल्क के साथ पंजीकृत आवेदन डाटा सेंटर द्वारा संबंधित अधिकारी को भेजा जाएगा। अधिकारी द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर अंकित करने के बाद, आवेदक को दस्तावेज़ दो दिनों के भीतर उपलब्ध करा दिया जाएगा। इसके साथ ही, कम्प्यूटर पर संधारित प्रेषण पंजी में आवेदन संख्या, आवेदक का नाम और प्रेषण की तिथि अंकित कर दी जाएगी।
इस प्रक्रिया से नागरिकों को जमीन के कागजात प्राप्त करने में आसानी होगी और उन्हें कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। यह पहल प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और कुशलता लाने में सहायक होगी, जिससे भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी। डिजिटल इंडिया अभियान के तहत, यह कदम राज्य में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देगा और सरकारी सेवाओं की पहुंच को और भी सरल बनाएगा।
‘4-4 कारखाना निरीक्षक व उपनिरीक्षकों का पद सृजित’
श्रम संसाधन विभाग के अंतर्गत बिहार श्रम सेवा तकनीकी के कारखाना निरीक्षक संवर्ग की विभिन्न कोटियों के पूर्व सृजित पदों के अतिरिक्त, अब चार नए कारखाना निरीक्षक और चार नए उप मुख्य कारखाना निरीक्षक पदों के सृजन को स्वीकृति दी गई है। यह निर्णय भारत सरकार के निर्देशों के तहत लिया गया है, जिसमें 150 कारखानों पर एक कारखाना निरीक्षक की नियुक्ति का प्रावधान है। इस कारण इन नए पदों की आवश्यकता महसूस की गई।
यह कदम कारखानों की सुरक्षा और संचालन में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। कारखाना निरीक्षकों की संख्या बढ़ाने से निरीक्षण प्रक्रिया में तेजी आएगी और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। इसके अलावा, उप मुख्य कारखाना निरीक्षकों की नियुक्ति से निरीक्षण और प्रशासनिक कार्यों में भी प्रभावी सुधार होगा। इस निर्णय से राज्य में उद्योगों का बेहतर संचालन और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने में सहायता मिलेगी।
कुल मिलाकर, यह पहल श्रमिकों की कार्यस्थल सुरक्षा को बढ़ाने और औद्योगिक प्रक्रियाओं को सुचारू और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी, बल्कि राज्य में औद्योगिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
‘15847 पदों पर काम कर रहे सर्वेक्षण कर्मियों को 2025 का अवधि विस्तार’
कैबिनेट ने संविदा पर काम कर रहे सर्वेक्षणकर्मियों की सेवा अवधि को विस्तारित कर दिया है। बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम के अंतर्गत राजस्व मानचित्रों और खतियान के अद्यतनीकरण के लिए जमीन-सर्वेक्षण कार्य जारी है। इस कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए 1 अप्रैल 2024 से 31 दिसंबर 2025 तक कुल 15,847 पदों की अवधि विस्तार की मंजूरी दी गई है। इनमें नियमित 1,339 पद और विशेष सर्वेक्षण हेतु सृजित एवं पूर्व से सृजित संविदा के 14,508 पद शामिल हैं।
यह विस्तार राज्य के राजस्व मानचित्रों और खतियान के अद्यतनीकरण को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। इस कदम से जमीन-सर्वेक्षण कार्य में निरंतरता बनी रहेगी और इसे समय पर पूरा किया जा सकेगा। संविदा कर्मियों की सेवा अवधि बढ़ाने से प्रशासनिक कामकाज में स्थिरता आएगी और सर्वेक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को दक्षता और प्रभावी तरीके से पूरा किया जा सकेगा।
इस निर्णय से राज्य सरकार का उद्देश्य भूमि-संबंधी रिकॉर्ड को सटीक और अद्यतित रखना है, जिससे भूमि विवादों को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह भूमि सुधारों और राजस्व प्रशासन को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
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