Gunjanग़ज़ल

मन चंचल

अमरजीत निराला, समस्तीपुर

मन क्या चाहे कोई ना जाने
मन की बाते मन ही जाने
मन चाहे फूलो सा खिलना
मन चाहे बगिया में झूलना
मन चाहे तारों सा चमकना
मन चाहे खुशबू सा गमकना

मन क्या चाहे कोई ना जाने
मन की बाते मन ही जाने
मन चाहे आकाश को छू लू
मन चाहे धरती को चुमू
मन चाहे गर चिड़ियाँ होता
यहाँ वहाँ मैं उड़ता फिरता

मन क्या चाहे कोई ना जाने
मन की बाते मन ही जाने
मन चाहे बादल सा गरजू
मन चाहे वर्षा सा बरसू
मन चाहे पवन बन जाऊ
धरती से मै धूल उड़ाऊँ

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मन क्या चाहे कोई ना जाने
मन की बाते मन ही जाने
मन चाहे दीपक बन जाऊँ
खुद जलके मै ज्योत जगाऊँ
मन चाहे मै जल बन जाऊँ
प्यासे का मै प्यास बुझाऊँ

मन क्या चाहे कोई ना जाने
मन की बाते मन जाने
मन चाहे मै राही होता
राह भी चलता राह दिखाता
मन चाहे मै स्वर्ग बन जाऊँ
सारे जगत को मै लुभाऊँ

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अमरजीत निराला, समस्तीपुर

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