मानसून : बिहार में इस साल मानसून Monsoon’ की विदाई हो चुकी है। रविवार को राज्य के सभी हिस्सों से मानसून ने अलविदा कह दिया, जिससे अब सर्दी की शुरुआत की उम्मीद की जा रही है। इस साल राज्य में बारिश की स्थिति सामान्य से काफी कमजोर रही, जिससे कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, बिहार में सामान्य से 20 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। सामान्यत: जहां राज्य में 992.2 मिमी वर्षा होती है, इस बार सिर्फ 798.3 मिमी ही बारिश हुई।’
देरी से आया और जल्दी गया मानसून
इस साल बिहार में मानसून ने 20 जून को दस्तक दी, जो कि सामान्य से एक सप्ताह देर थी। आमतौर पर मानसून बिहार में 10 जून के आसपास प्रवेश कर जाता है। 28 जून तक राज्य के सभी हिस्सों में इसका प्रसार हो गया, लेकिन इसके बावजूद बारिश का स्तर अपेक्षित नहीं रहा। मानसून की विदाई की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हुई और रविवार तक यह पूरी तरह से समाप्त हो गया। इसके चलते बिहार में जल्द ही सर्दी के मौसम का प्रभाव देखने को मिलेगा।
पटना में सबसे कम बारिश
पटना में इस साल सबसे कम बारिश दर्ज की गई। यहां पर सामान्य से 39 प्रतिशत कम बारिश हुई, जो कि राज्य में सबसे ज्यादा कमी का आंकड़ा है। इस वजह से पटना के किसानों को विशेष रूप से खेती में पानी की कमी का सामना करना पड़ा। इसके अलावा जल भंडारण और घरेलू उपयोग के लिए भी पानी की उपलब्धता पर असर पड़ने की संभावना है।
समस्तीपुर समेत 20 जिलों में कम बारिश
समस्तीपुर उन 20 जिलों में शामिल है जहां इस साल सामान्य से 20% से 59% तक कम बारिश हुई। इसके चलते यहां के किसानों को खेती में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। धान जैसी फसलों, जिनके लिए पर्याप्त पानी की जरूरत होती है, उनके उत्पादन में कमी आ सकती है। इसके अलावा बेगूसराय, भभुआ, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गोपालगंज, जमुई, जहानाबाद, मधेपुरा, मधुबनी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, रोहतास, सहरसा, सारण, सीतामढ़ी, शिवहर, और वैशाली में भी इसी तरह की स्थिति रही।
इन जिलों में बारिश की कमी के चलते मिट्टी में नमी की कमी हो सकती है, जिससे फसलें ठीक से नहीं बढ़ पाएंगी। साथ ही, जलस्तर में भी गिरावट देखने को मिल सकती है, जिससे आने वाले दिनों में पेयजल संकट गहरा सकता है।
सामान्य बारिश वाले जिले
बिहार के कुछ जिलों में सामान्य बारिश दर्ज की गई, जिसमें बारिश का स्तर सामान्य मानक के अनुसार 19% के अंदर उतार-चढ़ाव के साथ रहा। इनमें अररिया, अरवल, औरंगाबाद, बांका, बक्सर, पूर्वी चंपारण, गया, जमुई, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, नालंदा, शेखपुरा, सिवान, सुपौल, और पश्चिमी चंपारण शामिल हैं। इन जिलों में मानसून की स्थिति संतुलित रही, जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली। हालांकि, इन जिलों में भी बारिश की कमी या अधिकता के कारण स्थानीय स्तर पर कुछ चुनौतियां रही होंगी।
नवादा में सामान्य से ज्यादा बारिश
इस साल बिहार के केवल एक जिले, नवादा में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। यहां पर बारिश का स्तर 20% से अधिक रहा, जिससे स्थानीय किसानों को फायदा हुआ। नवादा के किसानों ने इस अतिरिक्त बारिश का उपयोग फसलों की सिंचाई के लिए किया, जिससे उनका उत्पादन अपेक्षाकृत बेहतर रहने की संभावना है। सामान्य से ज्यादा बारिश ने जलभंडारण की स्थिति को भी मजबूत किया है, जिससे आने वाले महीनों में जल की आपूर्ति में राहत मिलेगी।
कम बारिश के प्रभाव: कृषि और जल संकट
इस साल बिहार में सामान्य से कम बारिश ने कई क्षेत्रों में कृषि संकट की स्थिति उत्पन्न की है। बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां अधिकांश खेती मानसून पर निर्भर करती है। धान की खेती, जो राज्य की मुख्य फसल है, इसके लिए पर्याप्त पानी की जरूरत होती है। कम बारिश के कारण धान की फसल में कमी देखी जा सकती है, जिससे किसानों की आय प्रभावित होगी। इसके अलावा, गेहूं और दालों की बुआई के लिए भी पर्याप्त नमी की जरूरत होती है, जो आने वाले रबी सीजन में समस्या पैदा कर सकती है।
जल संकट की स्थिति भी राज्य में गहरा सकती है, क्योंकि मानसून की बारिश से ही अधिकांश जल स्रोत रिचार्ज होते हैं। जलस्तर में कमी का असर पीने के पानी और सिंचाई पर भी पड़ेगा। ऐसे में आने वाले महीनों में पानी की उपलब्धता को लेकर राज्य को अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
आगे की चुनौतियां और राहत की संभावनाएं
बिहार में मानसून की विदाई के साथ ही अब सर्दी का मौसम दस्तक देने वाला है। हालांकि, बारिश की कमी के कारण कृषि क्षेत्र में उत्पन्न हुई समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार और कृषि विभाग को अतिरिक्त कदम उठाने की जरूरत होगी। सिंचाई के वैकल्पिक साधनों को बढ़ावा देना, जल संरक्षण की योजनाएं लागू करना और किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करना इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण उपाय हो सकते हैं।
समस्तीपुर, पटना, और अन्य कम बारिश वाले जिलों के किसानों के लिए सूखा राहत योजनाओं का समय पर क्रियान्वयन भी जरूरी है। इसके साथ ही, जिन क्षेत्रों में पानी की कमी हो सकती है, वहां जल संचयन और जल प्रबंधन की रणनीतियां अपनाई जानी चाहिए।
बिहार में कम बारिश के इस वर्ष के अनुभव ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन के असर को सामने रखा है, जिससे निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है। सही कदम उठाकर राज्य इन चुनौतियों को अवसर में बदल सकता है और आने वाले वर्षों में एक बेहतर मानसून की उम्मीद की जा सकती है।