रांची: देशभर में समाचार पत्रों के समक्ष गहराते संकट और उनसे जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए रांची प्रेस क्लब में अखिल भारतीय समाचार पत्र प्रकाशक-संपादक संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में अखबारी कागज (न्यूजप्रिंट) पर लगाए गए जीएसटी को पूरी तरह समाप्त करने की मांग की गई। इसके साथ ही आगामी 10 फरवरी को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर एक सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया, जिसमें इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
बैठक में बिहार, झारखंड, नई दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों के चार दर्जन से अधिक समाचार पत्रों के प्रकाशकों और संपादकों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि हिंदी समेत सभी भाषाई अखबारों के समक्ष अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। यदि इस संकट का समाधान नहीं किया गया तो इससे न केवल लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को गंभीर खतरा होगा, बल्कि लाखों परिवार बेरोजगारी की चपेट में आ जाएंगे।
न्यूजप्रिंट पर जीएसटी हटाने की मांग
संघ ने अखबारी कागज (न्यूजप्रिंट) और प्रिंट मीडिया से जुड़े अन्य उपभोक्ता सामग्रियों पर लागू जीएसटी को हटाने की मांग की। बैठक में कहा गया कि जीएसटी लागू होने के बाद से समाचार पत्र प्रकाशन की लागत में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूद डीएवीपी (अब केंद्रीय संचार ब्यूरो) की ओर से विज्ञापन दर को पिछले 6 वर्षों से संशोधित नहीं किया गया है। संघ ने सरकार से इस मामले को तुरंत हल करने की अपील की।
अखबारों के बंद होने से देश में बढ़ेगी बेरोजगारी
बैठक में प्रकाशकों ने चिंता व्यक्त की कि यदि देश में बड़े पैमाने पर समाचार पत्रों का प्रकाशन बंद हो गया तो इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े एक करोड़ परिवारों पर असर पड़ेगा। इनमें हॉकर, एजेंट, प्रखंड, अनुमंडल, और जिला स्तर के पत्रकार शामिल होंगे। इस संकट के चलते देश में बेरोजगारी का एक नया और बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।
राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 10 फरवरी को नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया या कांस्टीट्यूशन क्लब में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में समाचार पत्र उद्योग की समस्याओं और उनके समाधान पर विस्तृत चर्चा होगी।
संघ के प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रधानमंत्री, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, सूचना एवं प्रसारण सचिव, केंद्रीय संचार ब्यूरो और प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के महानिदेशक, और भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक से मिलकर इन समस्याओं पर विचार-विमर्श और समाधान का आग्रह किया जाएगा।
प्रसार जांच नीति पर पुनर्विचार की मांग
बैठक में यह भी मांग की गई कि जब तक न्यूजप्रिंट पर जीएसटी को वापस नहीं लिया जाता, तब तक प्रसार जांच की नई नीति को स्थगित रखा जाए। इसके अलावा, संघ ने सरकार से इस नीति की समीक्षा के लिए एक आयोग के गठन की भी मांग की। यह आयोग समाचार पत्र उद्योग की समस्याओं पर गहन अध्ययन कर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
संघ की प्राथमिक मांगें
- अखबारी कागज (न्यूजप्रिंट) और अन्य प्रिंटिंग सामग्री पर जीएसटी हटाया जाए।
- प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों पर लागू जीएसटी को समाप्त किया जाए।
- डीएवीपी विज्ञापन दर को तत्काल प्रभाव से संशोधित किया जाए।
- प्रसार जांच की नई नीति पर पुनर्विचार कर इसे स्थगित किया जाए।
- समाचार पत्र उद्योग की समस्याओं पर अध्ययन के लिए एक आयोग का गठन किया जाए।
बैठक में उपस्थित प्रमुख सदस्य
बैठक में कमल किशोर, रजत गुप्ता, अशोक कुमार, प्रेम शंकर, विनय कुमार, श्रीराम अम्बष्ट, राहुल सिंह, नित्यानंद शुक्ला, एस.एम. खुर्शीद, सम्पूर्णानंद भारती, अविनाश चंद्र ठाकुर, नवल सिंह, मधुकर सिंह, संतोष पाठक, और अन्य प्रमुख संपादक एवं प्रकाशक शामिल हुए।
समाप्ति और धन्यवाद ज्ञापन
बैठक का समापन करते हुए सभी सदस्यों ने आशंका जताई कि यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो समाचार पत्र उद्योग के समक्ष अस्तित्व का संकट और गहरा जाएगा। उन्होंने इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा खतरा बताया।
यह बैठक समाचार पत्र उद्योग की वर्तमान स्थिति को सुधारने और इससे जुड़े लाखों परिवारों के हितों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास थी।
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