ढूँढ रही हूँ अक्षर अक्षर
हे मेरे ईश्वर! हे परमेश्वर!
बना कर यह रमणीया सृष्टि
न कहीं किया तूने हस्ताक्षर!
न नाम तेरा आया कभी
इस कृतघ्न प्राणी अधर!
दिखा हर तुच्छ वस्तु में भी
नाम समय स्थान प्रखर!
नमन हृदय से तुम्हें ईश्वर
मैं हूँ जीव क्षणिक नश्वर! डॉ भारती झा – कांटी, मुजफ्फरपुर.