रामनवमी: सूरज की किरणें; रामलला के मस्तिष्क तक कैसे पहुंची?
रामनवमी: अयोध्या में अद्भुत सूर्य तिलक का महत्व तीसरी मंजिल से गर्भगृह तक कैसे पहुंची सूरज की रोशनी? जानें इसके पीछे की साइंस
- Rama Navami Festival
Ram Navami: भारत में धार्मिक त्योहारों का महत्व अत्यंत उच्च होता है और रामनवमी (Rama Navami Festival) इनमें से एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व भगवान राम के जन्मदिन को मनाने के रूप में मनाया जाता है और विभिन्न प्रदेशों में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल, अयोध्या में रामनवमी (Ram Navami) के अवसर पर एक अद्भुत और अनूठे तरीके से सूर्य तिलक देखने को मिल रहा है।
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अयोध्या में रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे से रामलला का सूर्य तिलक किया गया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि यह पहली बार था जब ऐसा हुआ। प्राण प्रतिष्ठा के बाद, रामलला के मस्तिष्क पर सूर्य की किरणें पड़ीं और एक विशेष तकनीक के माध्यम से रामलला का सूर्यतिलक किया गया।
सूर्य तिलक का मूल उद्देश्य रामनवमी के दिन केवल राम की मूर्ति को तिलक लगाना होता है, लेकिन इस बार एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया। बेंगलुरु की एक कंपनी ने आठ धातुओं को मिलाकर एक विशेष सिस्टम तैयार किया, जिससे सूर्य की किरणें मंदिर के अंदर लाई जा सकें।
इस सिस्टम में 20 पाइपों का इस्तेमाल किया गया, जो मंदिर की पहली मंजिल से लेकर गर्भगृह तक जाते हैं। इन पाइपों में सूर्य की किरणें पड़ती हैं और फिर विभिन्न लेंसों के माध्यम से रामलला के मस्तिष्क पर गोलाकार तिलक देखने को मिला। यह प्रक्रिया सीधे सूर्य की किरणों को रामलला के मस्तिष्क पर पहुंचाने का सशक्त और विशेष तरीका है।इस प्रक्रिया को सीएसआईआर-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ. एस के पाणिग्रही ने तकनीकी दृष्टि से समर्थन दिया है। इसके अलावा, यह नवाचार धार्मिक और तकनीकी दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे लोगों को अद्वितीय अनुभव प्राप्त होता है और धार्मिक आदर्शों को बनाए रखने में मदद मिलती है।
अयोध्या में इस अद्भुत तिलक के माध्यम से, रामनवमी के पावन अवसर को और भी अधिक उत्सवी और यादगार बनाया गया है। यह एक नई यात्रा है धार्मिक परंपराओं की और तकनीकी नवाचार की, जो समृद्धि और समृद्धि के माध्यम से समाज को संगठित करने में सहायक हो सकता है।