समस्तीपुर : समस्तीपुर लोकसभा’ Samastipur Lok Sabha’ क्षेत्र बिहार में एक महत्वपूर्ण सीट है जो राजनीतिक महत्व का केंद्र बना हुआ है। चुनावी माहौल इस बार काफी उत्साहजनक है, जैसे ही मतगणना शुरू होगी, देशभर के राजनीतिक गुरुओं की नजरें इस सीट पर होंगी।
जबसे चुनावी प्रक्रिया आरंभ हुई है, समस्तीपुर में तनावपूर्ण माहौल है। लोगों का उत्साह उछला हुआ है और सभी पार्टियों के उम्मीदवारों की प्रतिक्रियाएं संवेदनशीलता से सुनी जा रही हैं। समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र को राष्ट्रीय दलों का क़िला माना जाता रहा है, ख़ासकर एनडीए का दबदबा यहाँ पर था। लेकिन हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने भी अपनी मौजूदगी को महसूस कराया है।
जब तक मतगणना पूरी नहीं होती, कोई भी नतीजे कथित नहीं होते, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि दोपहर के बाद ही इस हॉट सीट का रुझान स्पष्ट होने लगेगा। इस बार के चुनाव में समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के परिणाम देशभर में राजनीतिक मानचित्र को परिवर्तित कर सकते हैं। जिसके परिणामस्वरूप बिहार की राजनीति में भी बदलाव आ सकता है।
समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र का चुनाव बिहार की राजनीतिक स्तर पर एक महत्वपूर्ण है, जिसमें बिहार के दो प्रमुख नेताओं के परिवार भी सम्मिलित हैं। यहां बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी ‘Shambhavi Chaudhary’ लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार हैं, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार सन्नी हजारी ‘Sunny Hazari’ बिहार सरकार के मंत्री और जदयू नेता महेश्वर हजारी के पुत्र हैं। इससे चुनाव मैदान में एक रोमांचक और तनावपूर्ण मुकाबला की आशंका है।
अशोक चौधरी और महेश्वर हजारी के परिवारों की प्रतिष्ठा और उनके सामाजिक और राजनीतिक जानकारी का परिचय इस चुनाव को और भी रोचक बनया है। इन उम्मीदवारों के बीच होने वाला मुकाबला भी स्थानीय और राजनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण है।
इस चुनाव में समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र के लिए जनता की उम्मीदें और आकांक्षाएं भी बढ़ गई हैं। लोगों की उत्साहपूर्ण प्रतिक्रियाएँ और उनकी भारी भागीदारी का संकेत देती हैं कि यहां का चुनाव एक बड़ा रोमांचक और उत्साहजनक होने वाला है।
समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र की उम्मीदवारों के परिवारों का सम्बंध राजनीतिक दायरे में महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही जनता का भी मतदान उसके वोट की गिनती कुछ देर में होगी । इस संदर्भ में, यह चुनाव न केवल एक व्यक्तिगत परिचय का मामला है, बल्कि यह बिहार की जनता के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय का भी मामला है।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डॉ. अशोक कुमार को लोग जलशक्ति पार्टी की प्रत्याशी स्वर्गीय रामचंद्र पासवान के हाथों हार का अनुभव करना पड़ा था। उन्होंने चुनावी मैदान में मुकाबला किया, लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सके।
वर्ष 2019 के चुनाव में भी रामचंद्र पासवान ने डॉ. अशोक कुमार को हराया। हालांकि, उनकी मृ’त्यु के बाद हुए उप चुनाव में, उनके पुत्र प्रिंस राज ने कांग्रेस पार्टी के डॉ. अशोक कुमार को हराकर जीत हासिल की। यह जीत एक बड़ी उपलब्धि थी जिसने उनके राजनीतिक परिवार को नया संग्राम प्रदान किया।
हालांकि, इस बार के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी में विभाजन के कारण प्रिंस राज को उम्मीदवारी नहीं मिली। इसके बजाय, रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के नेतृत्व में बनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास की टिकट पर शांभवी चौधरी मैदान में है, जबकि कांग्रेस के टिकट से सनी हजारी भी उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं।
इस संदर्भ में, जनता का मतदान आज उसका परिणाम है। चुनाव के परिणाम दर्शाएंगे कि जनता किसे चुनती है और किसे अपना नेता मानती है। यह चुनाव लोकतंत्र की नींव पर आधारित है, जिसमें जनता की आवाज का महत्वपूर्ण योगदान है। अब यह देखने का समय है कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधता है और किस दल को जनता अपना विश्वास देती है।