समस्तीपुर जिला को श्री योगेंद्र सिंह के रूप में मिला एक ईमानदार डी. एम.
नालंदा: जिला के डी. एम. श्री योगेंद्र सिंह अपनी सादगी और अपने काम के प्रति उत्तरदायित्व के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं। श्री सिंह नालंदा जिला के 37वें डी. एम. के पद पर कार्यरत थे लेकिन जैसे ही उनके तबादले की जानकारी मिली श्री सिंह बिना किसी औपचारिकता के नालंदा जिला को अलविदा कह गए ! अपने कार्य के प्रति अपनी जवाबदेही को देखते हुए श्री सिंह ने बड़ी ही शालीनता से फेयरवेल पार्टी के लिए मना किया और अपना ट्राली बैग ले बाडीगार्ड को नए डी. एम. के साथ रहने की बात कही और एक आम आदमी की तरह अपने नये कार्य स्थल के लिए निकल पड़े। जब श्री सिंह रेलवे स्टेशन आए तो आम आदमी की तरह कतार में लगकर ट्रेन का टिकट लिया और श्रमजीवी ट्रेन में बैठकर पटना की ओर रवाना हो हुए । प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री सिंह, नगर आयुक्त तरणजोत सिंह को प्रभार दिया और सिम डीडीसी को देकर अपने नये कार्यस्थल जिला समस्तीपुर के लिए निकल पड़े। नालंदा जिला गठन के बाद श्री योगेंद्र सिंह नालंदा के 37वें जिलाधिकारी थे। लेकिन स्थानांतरण के बाद जिस तरह से श्री सिंह नालंदा से रवाना हुए शायद ही ऐसा किसी डी. एम. के कार्यकाल में देखने को नहीं मिला होगा । प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह आठ बजे श्री सिंह ने कर्मियों को अपनी गाड़ी लगाने को कहा और बगैर किसी अंगरक्षक के एक ट्रॉली लेकर अपनी गाड़ी में बैठ सीधे बिहारशरीफ रेलवे स्टेशन पहुँच गए । और टिकट काउंटर पर आमलोगों के साथ कतारबद्ध होकर ट्रैन की टिकट ली और टिकट ले श्री सिंह जैसे ही प्लेटफॉर्म पर पहुँचे रेलवे स्टेशन पर श्रमजीवी एक्सप्रेस पकड़ने आये सैकड़ों लोग यह देखकर स्तब्ध रह गए कि स्थानांतरण के बाद श्री सिंह ने किस सादगी से 35 महीनों तक कार्यरत रहे नालंदा जिला को अलविदा कह दिया। आपको बता दें कि श्री सिंह 2012 बैच के आई. ए. एस. अधिकारी हैं । सबसे पहले पटना सिटी के एस.डी. ओ. के तौर पर कार्यरत रहे फिर बेतिया के उप विकास आयुक्त और शेखपुरा के जिलाधिकारी रहे इसके बाद श्री सिंह ने नालंदा में अपना कार्यभार संभाला था । उत्तर प्रदेश के उन्नांव जिला के हरिपुर के रहने वाले श्री सिंह की पहचान जिले में एक तेजतर्रार व विकास के लिए हमेशा अग्रसर रहने वाले अधिकारी के रूप में रही है । जिले के ज़ू सफारी को फाइनल टच देने तक मे इनका अहम योगदान रहा है । नालंदा में इतना कार्य करने और 35 महीने की लंबी अवधि बिताने के बाद भी श्री सिंह एक पल के लिए भी कुछ नहीं सोचा और बिना किसी सुरक्षा और सहयोग के एक आम आदमी की तरह अपने नये कार्यस्थल के लिए निकल पड़े ।