समस्तीपुर : समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड में बीपीएससी शिक्षक बहाली प्रक्रिया में हुए व्यापक फर्जीवाड़ा को लेकर जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डीएम रोशन कुशवाहा को सौंप दी है। जांच के अनुसार, कई शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितताएं पाई गई हैं, जिनमें शिक्षा विभाग की संदिग्ध भूमिका भी सामने आई है। इस मामले में राज्यस्तरीय जांच कराने की सिफारिश की गई है, ताकि अनियमितताओं की जड़ तक पहुँचा जा सके। एडीएम (आपदा) राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित चार सदस्यीय जांच कमेटी ने यह रिपोर्ट दो महीने की गहन जांच के बाद प्रस्तुत की है।
जांच में खुलासा हुआ कि विभूतिपुर के कई स्कूलों में ऐसे शिक्षक भी शामिल थे जिन्होंने बीपीएससी शिक्षक परीक्षा पास नहीं की थी। इसके बावजूद उनका प्राण नंबर जेनरेट कर वेतन का भुगतान किया जा रहा था। कई शिक्षकों की बायोमेट्रिक जांच भी नहीं की गई थी। इस प्रकार की नियुक्तियों की जानकारी मिलने पर तत्कालीन डीएम योगेंद्र सिंह ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी जिसमें शिक्षा विभाग को दूर रखा गया था। इस जांच से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि शिक्षा विभाग ने समय पर अपेक्षित कागजात उपलब्ध नहीं कराए जिससे जांच में कठिनाई आई। यह रवैया जांच के प्रति असहयोगपूर्ण बताया गया है।
जांच कमेटी ने बीपीएससी की इस बहाली प्रक्रिया में 20 शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति की पुष्टि की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि और गहराई से जांच की जाए तो इस तरह की और भी फर्जी नियुक्तियाँ सामने आ सकती हैं।
इस प्रकरण में विभूतिपुर के बीईओ (खंड शिक्षा पदाधिकारी) कृष्णदेव महतो पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जांच में उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई है। बीईओ पर यह आरोप है कि उनके विभागीय रिकॉर्ड की जब्ती नहीं की गई, जिससे उन्होंने जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। बीईओ के खिलाफ तीन पेज की अलग रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
डीएम रोशन कुशवाहा ने पुष्टि की है कि रिपोर्ट को शिक्षा विभाग, पटना को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि दोषियों की पहचान कर उन पर उचित कार्रवाई की जाएगी। डीएम ने यह भी आश्वस्त किया कि समस्तीपुर में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है, और केवल योग्य शिक्षक ही विद्यालयों में पढ़ाएंगे। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ को लेकर सरकार पूरी तरह से सतर्क है।
जांच रिपोर्ट आने के बाद सरकार और शिक्षा विभाग के पास अब इस मामले में उचित कदम उठाने की जिम्मेदारी है। इस मामले में निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके और शिक्षा प्रणाली में सुधार हो सके।