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शारदा सिन्हा; पटना में राजकीय सम्मान के साथ गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार

बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, पटना एयरपोर्ट पहुंचा पार्थिव शरीर, गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार.

Patna : बिहार की प्रख्यात लोक गायिका और “बिहार कोकिला” के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। 72 वर्षीय शारदा सिन्हा ने छठ महापर्व के पहले ही दिन दुनिया को अलविदा कह दिया, जिससे बिहार और उनके लाखों प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन का कारण सेप्टिसीमिया (ब्लड इंफेक्शन) बताया गया है। 26 अक्टूबर को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। हालांकि, 3 नवंबर को उनकी स्थिति में सुधार हुआ और उन्हें प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया था, लेकिन 4 नवंबर को उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।

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बुधवार को इंडिगो की फ्लाइट से शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना एयरपोर्ट लाया गया, जहां बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। दोपहर के बाद उनके पार्थिव शरीर को पटना में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ करने की घोषणा की है। उन्होंने पटना के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ समय पर सुनिश्चित की जाएं।

गुरुवार सुबह 8 बजे गुलबी घाट पर शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गुरुवार शाम को पटना के राजेन्द्र नगर स्थित उनके घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शारदा सिन्हा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “शारदा सिन्हा के गाए मैथिली और भोजपुरी लोकगीत दशकों से लोगों के दिलों में बसे हैं। महापर्व छठ से जुड़े उनके गीतों की गूंज हमेशा बनी रहेगी।” शारदा सिन्हा का नाम छठ गीतों के लिए विशेष रूप से जाना जाता था। उनके गीतों की मधुरता और सादगी ने उन्हें बिहार और देशभर में अपार लोकप्रियता दिलाई।

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शारदा सिन्हा का संगीतमय सफर और उनके गीतों का प्रभाव इतना गहरा था कि बिहार की संस्कृति और त्योहारों की पहचान में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उनके निधन से बिहार ने एक अनमोल रत्न खो दिया है, जिनके गीत पीढ़ियों तक सुनाई देंगे।

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