समस्तीपुर: बोस, बोस थे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं. अंग्रेजों के सामने घूटना टेकने के बजाय वे मातृभूमि के लिए अपनी जान न्योछावर कर दिए. वे संप्रादायिक राजनीति के धुर विरोधी थे. अंग्रेजों से लड़ने के लिए गठित उनके आजाद हिन्द फौज में सभी धर्म-सांप्रदाय के लोग थे. उनका सम्मान करना है तो सांप्रदायिक राजनीति को छोड़ कर सम्मान करें. उक्त बातें भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने शहर के विवेक- विहार मुहल्ला में नागरिक समाज के बैनर तले रविवार को नागरिक समाज के बैनर तले आयोजित सुभाषचंद्र बोस जयंती पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा.
बोस समेत तमाम स्वतंत्रता सेनानी की याद में दो मिनट का मौन श्रद्धांजलि से कार्यक्रम की शुरुआत की गई. तत्पश्चात उनके तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया. मौके पर ऐपवा जिलाध्यक्ष बंदना सिंह, सेवानिवृत्त शिक्षक सुरेंद्र नारायण राय, सोनू कुमार, सागर प्रसाद, रंजीत झा, लखींद्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार, सचिन कुमार शर्मा आदि उपस्थित थे.