Deepshikha Sagar
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ग़ज़ल
ख़ुद मुझे अपनी कहानी से जुदा होना पड़ा – दीपशिखा ‘सागर’
लफ्ज़ ए उल्फ़त के मआनी से जुदा होना पड़ा, मिसरा ए ऊला को सानी से जुदा होना पड़ा। तितलियाँ हँस…
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