Ghazal
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ग़ज़ल
ग़ज़ल; मुकद्दर छीन लेता है
अमीरे शह्र चक्कर कुछ चलाकर छीन लेता है । गरीबों के यतीमों के मुकद्दर छीन लेता है ।। ज़रा मुस्कान…
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ग़ज़ल
Ghazal; अपना दुख
अपना दुख ही पहचाना सा लगता है बाकी सब तो, अनजाना सा लगता है सच्चाई जीवन की, चाहे कुछ भी…
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ग़ज़ल
Ghazal; चोट खाया हुआ
बेसबब आदमी का सताया हुआ सांप लौटेगा फिर चोट खाया हुआ लात घूंसो से भूखा शिकम भर गया हाथ से…
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भाषा-साहित्य
हस्र पर मेरे मुंसिफ भी लाचार थे – अशोक ‘अश्क’
जुर्म कोई नहीं पर गुनहगार थे हस्र पर मेरे मुंसिफ भी लाचार थे बेख़बर खोई थी वो चकाचौंध में बोलियाँ…
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भाषा-साहित्य
शम’अ बनकर तेरे पहलू में पिघल कर देखें – कविता सिंह “वफ़ा”
शम’अ बन कर तेरे पहलू में पिघल कर देखें ! कितनी आतिश है तेरे प्यार में जल कर देखें !!…
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भाषा-साहित्य
ये वक्त ले गया गले से हार खींच कर – ग़ज़ाला तबस्सुम
वो दोस्ती की जां से हरिक तार खींच कर मेरा यक़ीन ले गया ग़द्दार खींच कर। दिन मोतियों से हाथ…
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भाषा-साहित्य
राहें खुदा नहीं है ये बन्दगी नहीं है – शिल्पा जैन
भर पेट रोटी सब्जी कभी तो मिली नहीं है रहने को भी ख़ुदाया इक झोपड़ी नहीं है मैं देश पर…
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भाषा-साहित्य
इश्क़ इक दर्दे दवा है – रश्मि प्रदीप
सुना था इश्क़ इक़ दर्दे दवा है ग़लत थी मैं बड़ी ये बेवफ़ा है। जहां हर शख्स चोटें खा रहा…
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ग़ज़ल
ख़ुद मुझे अपनी कहानी से जुदा होना पड़ा – दीपशिखा ‘सागर’
लफ्ज़ ए उल्फ़त के मआनी से जुदा होना पड़ा, मिसरा ए ऊला को सानी से जुदा होना पड़ा। तितलियाँ हँस…
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भाषा-साहित्य
करना सफ़र नहीं है आसान ज़िन्दगी में – सुनीता ‘सुमन’
मैं हो के रह गई हूं हैरान ज़िंदगी में । आएंगे और कितने तूफान ज़िंदगी में ।। आए हो जब…
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