Hindi Ghazal
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ग़ज़ल
ग़ज़ल; मुकद्दर छीन लेता है
अमीरे शह्र चक्कर कुछ चलाकर छीन लेता है । गरीबों के यतीमों के मुकद्दर छीन लेता है ।। ज़रा मुस्कान…
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ग़ज़ल
Ghazal; अपना दुख
अपना दुख ही पहचाना सा लगता है बाकी सब तो, अनजाना सा लगता है सच्चाई जीवन की, चाहे कुछ भी…
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ग़ज़ल
Ghazal; चोट खाया हुआ
बेसबब आदमी का सताया हुआ सांप लौटेगा फिर चोट खाया हुआ लात घूंसो से भूखा शिकम भर गया हाथ से…
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भाषा-साहित्य
इश्क़ इक दर्दे दवा है – रश्मि प्रदीप
सुना था इश्क़ इक़ दर्दे दवा है ग़लत थी मैं बड़ी ये बेवफ़ा है। जहां हर शख्स चोटें खा रहा…
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भाषा-साहित्य
करना सफ़र नहीं है आसान ज़िन्दगी में – सुनीता ‘सुमन’
मैं हो के रह गई हूं हैरान ज़िंदगी में । आएंगे और कितने तूफान ज़िंदगी में ।। आए हो जब…
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