Poem
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ग़ज़ल
ख़ुद मुझे अपनी कहानी से जुदा होना पड़ा – दीपशिखा ‘सागर’
लफ्ज़ ए उल्फ़त के मआनी से जुदा होना पड़ा, मिसरा ए ऊला को सानी से जुदा होना पड़ा। तितलियाँ हँस…
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भाषा-साहित्य
क्या खोजता है? – मोहन झा
श्रृंगनगपतिजयी मानव! चन्द्र मंगल पग धरे, क्या खोजता है? मर्त्यजीवन अर्थ खोजो, व्यर्थ विचरण व्योम में, क्या खोजता है? लथपथ…
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भाषा-साहित्य
नारी पत्थर नहीं – डॉ शेफालिका वर्मा
नारी पत्थर की देवता नही जो पूजे जाते हैं कहीं भी चंदन रोली लगा मंत्र बुदबुदा देते हैं पूजा हो…
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भाषा-साहित्य
करना सफ़र नहीं है आसान ज़िन्दगी में – सुनीता ‘सुमन’
मैं हो के रह गई हूं हैरान ज़िंदगी में । आएंगे और कितने तूफान ज़िंदगी में ।। आए हो जब…
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भाषा-साहित्य
हे ईश्वर – डॉ भारती झा
ढूँढ रही हूँ अक्षर अक्षर हे मेरे ईश्वर! हे परमेश्वर! बना कर यह रमणीया सृष्टि न कहीं किया तूने हस्ताक्षर!…
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