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पटना पुस्तक मेला में रंगकर्मी राजेश राजा को सम्मानित किया गया

पटना पुस्तक मेला
पटना पुस्तक मेला में सम्मानित होते रंगकर्मी राजेश राजा .

पटना : पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में सेंटर फॉर रीडरशिप डेवेलपमेंट (सीआरडी) द्वारा आयोजित पटना पुस्तक मेला – 2024 के अंतर्गत वरिष्ठ रंगकर्मी राजेश राजा को रंगमंच के क्षेत्र में उनके 32 वर्षों के योगदान के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें ‘सिनेमा उनेमा’ सभागार में मेला आयोजन समिति द्वारा प्रदान किया गया।

पटना पुस्तक मेला का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। इस 12 दिवसीय मेले में साहित्य, कला और रंगमंच से जुड़ी कई गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। पांचवें दिन, “हरियाली रंगोत्सव” के तहत नुक्कड़ मंच पर नुक्कड़ नाटक “जल ही है हल” का प्रदर्शन किया गया, जिसका निर्देशन श्री शिवांक ने किया था। इस आयोजन में नाट्य निर्देशक और वरिष्ठ रंगकर्मी मिथिलेश सिंह भी वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

राजेश राजा को रंगमंच में उनके अद्वितीय योगदान के लिए यह सम्मान दिया गया। उन्होंने पिछले तीन दशकों में पटना रंगमंच पर लगभग पचास नाटकों में अभिनय और निर्देशन किया है। उनके उल्लेखनीय कार्य ने न केवल बिहार बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी रंगमंच को एक नई पहचान दी है।

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सम्मान समारोह में, राजेश राजा ने इसे अपने लिए गौरव का क्षण बताते हुए कहा, “यह सम्मान मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसने मुझे रंगमंच के क्षेत्र में और अधिक जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया है।” उन्होंने मेला आयोजन समिति और सम्मान चयन समिति का आभार प्रकट किया।

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सिनेमा उनेमा महोत्सव के संयोजक रविकांत सिंह ने कहा, “राजेश राजा जैसे रंगकर्मियों को सम्मानित कर मेला आयोजन समिति गौरव महसूस कर रही है। उनकी उपलब्धियां नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए प्रेरणा हैं।”

पटना पुस्तक मेला – 2024 ने कला और साहित्य से जुड़े लोगों के लिए एक बड़ा मंच प्रदान किया है। यह मेला न केवल पुस्तकों के प्रति प्रेम को बढ़ावा देता है, बल्कि विभिन्न कलात्मक विधाओं को भी प्रोत्साहित करता है।

“हरियाली रंगोत्सव” में प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक “जल ही है हल” ने जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया। इस दौरान दर्शकों ने कलाकारों के प्रदर्शन की खूब सराहना की।

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राजेश राजा के सम्मान के साथ, पटना पुस्तक मेला ने न केवल साहित्य और कला के संगम को मजबूत किया, बल्कि रंगमंच को भी एक नई पहचान दी। उनके योगदान को मान्यता देना आने वाली पीढ़ियों को रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय होने के लिए प्रेरित करेगा।

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