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नारी पत्थर की देवता नही
जो पूजे जाते हैं
कहीं भी चंदन रोली लगा
मंत्र बुदबुदा देते हैं
पूजा हो गयी तुम्हारी —
तुम समझते क्यों नही
वो पूजने वाली देवी नही
तुम्हारे बगल में खड़ी
तुम्हे जन्म देने वाली माँ है
तुम्हारी कलाइयों में राखी की शक्ति है
तुम्हारे कदम से कदम मिला सुख दुःख में
चलनेवाली तुम्हारी संगिनी है
तुम्हारे चेहरे पे मुस्कान भरने वाली
तुम्हारी दोस्त है
अगर दिल होता है तो
तुम्हारी ही तरह उसे भी
दिल है —–
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जिस दिन इतनी समझ आ जाये
ये समाज सत्यं शिवं
सुंदरम बन जाये
मेरा देश वाकई महान बन जाये !!!
डॉ शेफालिका वर्मा, डॉ मुखर्जी नगर, दिल्ली.
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